Friday, 29 September 2017

Pauranik Kahani #7: भीमसेन का अभिमान

Mahabali Bheem Story in Hindi
पांडु पुत्र भीम को अपनें बलशाली होने पर अत्यंत गर्व हो जाता है। वनवास काल के दौरान एक दिन वह वन की ओर विचरते हुए दूर निकल जाते हैं। रास्ते में उन्हे एक वृद्ध वानर मिलता है। वानर की पूँछ भीमसेन के रास्ते में बिछी होती है। तभी भीम उसे अपनी पूँछ दूर हटा लेने को कहते हैं। परंतु वृद्ध वानर कहता है, “अब इस आयु में मुझसे बार-बार हिला-डुला नहीं जाता तुम तो काफी हट्टे-कट्टे हो, एक काम करो तुम ही मेरी पूँछ को हटा कर आगे बढ़ जाओ।”
भीम उस वृद्ध वानर की पूँछ उठा कर हटाने के लिए भरसक प्रयास करते हैं, परंतु वह पूँछ को एक इंच भी हिला नहीं पाते हैं। अंत में भीमसेन उन्हे हाथ जोड़ कर प्रणाम करते हैं और उन्हे अपना परिचय देने का विनम्र आग्रह करते हैं।
फिर वृद्ध वानर के रूप धरे हुए पवन पुत्र हनुमान अपनें असली स्वरूप में आ जाते हैं, और भीम को अपना अहंकार छोड़ने की सीख देते हैं।
सार: बल, बुद्धि और कौशल पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए।

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